10 अजूबे

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देखें कुदरत के 10 अजूबे, इन जगहों को नहीं देखा तो भारत में कुछ नहीं देखा!

मैग्नेटिक हिल ऑफ लद्दाख से लेकर, महाराष्ट्र के लोनार झील और गुजरात के कच्छ रण तक। हम आपके लिए लेकर आए हैं, भारत के ऐसे ही सबसे अद्भुत प्राकृतिक आश्चर्य। इन दिलकश नजारों को देखकर आपकी तबीयत मस्त हो जाएगी।

इन जगहों की तस्वीरें देखकर पहले कुछ सैकंड तो शायद आपको यकीन ही नहीं होगा कि यह भारत की तस्वीरें हैं। इतने खूबसूरत प्राकृतिक नजारे और कुदरत के अजूबों से भरी पड़ी ये जगह बाकई दिलचस्प हैं। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि यह जगह भी टूरिस्टों की पसंदीदा सूची में होती हैं। ट्रेवल कंपनियों के मुताबिक, टूरिस्ट अक्सर इन जगहों पर जाने के लिए इन्क्वॉयरी करते हैं।

जैसे, लोनार झील लगभग 150 मीटर गहरी और 1.83 किमी डायमीटर है। यह पर्यटकों के साथ ही दुनियाभर के वैज्ञानिकों को भी आकर्षित करती हैं।

मैग्नेटिक हिल ऑफ लद्दाख…

वैज्ञानिकों अनुसार गुरुद्वारा पठार साहिब के निकट स्थित इस हिल में गजब की चुंबकीय ताकत है। यही नहीं इसका मैग्नेटिक फील्ड भी काफी बड़े क्षेत्र तक प्रभावित करता है। यदि इस हिल की चुंबकीय ताकत का परीक्षण करना हो तो किसी वाहन के इंजन को बंद करके वहां खड़ा कर दें, वह बंद वाहन धीरे-धीरे पहाड़ी की चोटी की ओर स्वत: ही खिसकना शुरू कर देता है।

मैग्नेटिक हिल ऑफ लद्दाख…

वैज्ञानिकों अनुसार गुरुद्वारा पठार साहिब के निकट स्थित इस हिल में गजब की चुंबकीय ताकत है। यही नहीं इसका मैग्नेटिक फील्ड भी काफी बड़े क्षेत्र तक प्रभावित करता है। यदि इस हिल की चुंबकीय ताकत का परीक्षण करना हो तो किसी वाहन के इंजन को बंद करके वहां खड़ा कर दें, वह बंद वाहन धीरे-धीरे पहाड़ी की चोटी की ओर स्वत: ही खिसकना शुरू कर देता है।

माजुली, असम…

माजुली दुनिया का सबसे बड़ा नदी का द्वीप होने के लिए जाना जाता है। माजुली जोरहट से सिर्फ 20 किमी दूर है और नाव के जरिए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। माजुली द्वीप पिछली पांच सदियों से असम का सांस्कृतिक केंद्र रहा है, जिसे बचाने के लिए विभिन्न संगठन प्रयास कर रहे हैं। यह द्वीप अपने वैष्णव नृत्यों के अलावा रास उत्सव, टेराकोटा और पर्यटन के लिए मशहूर है।

Nohkalikai फॉल्स, मेघालय…

चेरापूंजी के समीप नोहकालीकाई झरना भारत का सबसे ऊंचा झरना है। चेरापूंजी प्रतिवर्ष की भारी बारिश के लिए जाना जाता है और इस झरने के जल का स्रोत यही बारिश है। इस झरने के पास स्थित खड़ी चट्टान से छलांग लगाने वाली स्थानीय लड़की का लिकाई के नाम पर इस झरने का नाम नोहकालीकाई पड़ा।