हनीमून के लिए टॉप 10 डेस्टिनेशन
रीति-रिवाज, परंपराओं के साथ शहनाई की गूंज 15 नवंबर से एक बार फिर सुनाई देगी। न्यूली मैरिड कपल्स के लिए हनीमून की प्लानिंग खास होती है। ऐसे में इस बार अपनों की शादी की तैयारी में व्यस्त लोग इस मूमेंट को स्पेशल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।
हनीमून के लिए कौन सी जगह को चुना जाए, इसकी प्लानिंग कोई आसान काम नहीं है। किसी को पहाड़ और खूबसूरत लैंडस्केप से भरपूर हिल्स स्टेशन आकर्षित करते हैं तो कोई एडवेंचर से भरपूर डेस्टिनेशन की प्लानिंग करता है।
हनीमून के लिए देश के अलावा कपल्स दुबई, यूरोप, थाइलैंड, सिंगापुर जाने की प्लांनिग करते हैं। न्यू ईयर और हनीमून के लिए दुबई अभी भी कपल की पहली पसंद बना हुआ है। भारत में हिमाचल हनीमून कपल्स की पहली पसंद बना हुआ है। हनीमून के दौरान वन वीक के ट्रिप पर इंडिया में केरल, कश्मीर जैसी जगहों पर जाने के लिए 50 हजार रुपए और सिंगापुर, मॉरीशस, दुबई की सैर के लिए लगभग 1 लाख रुपए तक का खर्चा आता है।
1. लोनावला:
मुंबई-पुणे मार्ग पर 104 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खंडाला-लोनावला दोनों एक-दूसरे से 5 किलोमीटर के अंतर पर है, जहां मुंबई से बस या टैक्सी द्रारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
खंडाला से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है महाराष्ट्र का एक अन्य हिल स्टेशन लोनावला (लोणावळा)। पश्चिमी भारत में लोनावाला को झीलों का जिला कहते हैं, जिनमें लोनावला झील, तिगौती झील, मानसून झील और वाल्वन झील प्रमुख हैं।
खासकर वाल्वन झील पर बना वाल्वन बांध एक बेहतरीन पिकनिक स्पॉट है। देश की नामी कंपनी टाटा ने भी यहां अपनी कईं झीलें निर्मित की हैं जिनसे बिजली उत्पन्न की जाती है।
लोनावला को सह्याद्रि पहाड़ियों का मणि और मुंबई-पुणे का प्रवेश द्वार भी कहते हैं। लोनावला से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बुशी डैम सैलानियों के बीच एक पिकनिक स्पॉट के तौर पर काफी लोकप्रिय है जबकि लोनावला के मुख्य बाजार के ठीक पीछे स्थित रेवुड पार्क एक खूबसूरत जैविक उद्यान है। लोनावला के आसपास कई किले भी देखने लायक हैं, जिनमें लौहगढ़, विशपुर, तुंग किला और तिकोना किला प्रमुख हैं। लौहगढ़ एक अपराजेय किले के तौर पर जाना जाता है, वहीं तिकोना किले के शिखर पर बौद्ध गुफा और जल कुंड हैं।
इसके पास ही मौजूद पावना झील में तिकोना किले का प्रतिबिंब बेहद खूबसूरत दिखाई देता है जबकि तुंग किले की सुरक्षा प्राचीर से लौहगढ़, विशपुर, तिकोना किला और पावना झील का मनोहारी दृश्य बेहद सुंदर नजर आता है।
2. लोंडा:
यह कर्नाटक राज्य के बेलगाम जिले में स्थित एक खूबसूरत शहर है। यह गोवा राज्य की सीमा पर लगता है। लोंडा शहर पश्चिमी घाटों के रूप में खास पहचान रखता है। यह रसीले सदाबाहर जंगलों से घिरा हुआ है। लोंडा स्टेशन धारवाड़ से गोवा जाने वाले रेलवे मार्ग पर स्थित है। खूबसूरत घाटों का ये शहर हनीमून के लिए एक दम परफेक्ट है।
4. दीव-दमन:
दमन और दीव मुंबई के समीप अरब सागर में स्थित द्वीप समूह हैं जो भारत का एक केन्द्र शासित प्रान्त है। यहां की राजधानी सिलवासा है। समुद्र तल से लगभग 6 मीटर की ऊंचाई पर स्थित दीव एक छोटा सा द्वीप है, जहां प्रकृति ने अपने अनुपम सौन्दर्य की चादर चारों तरफ बिछा रखी है। तीन ओर सागर से घिरा एक छोटा सा द्वीप जहाँ लम्बे-लम्बे ताड़ और नारियल के लहराते वृक्ष, सागर की चंचल जल तरंगों का मधुर संगीत, तट पर बिखरी सागरीय सम्पदा और गुजरात काठियावड़ एवं पुर्तगालियों की मिली जुली सांस्कृतिक विरासत बरबस ही मन मस्तिष्क पर एक अमिट प्रभाव छोड़ती है। दीव का नाम आते ही लोग सोचने लगते हैं कि यह दमन का ही एक भाग है, जबकि सत्यता यह है दीव गुजरात के वेरावल बंदरगाह के निकट काठियावाड़ के समुद्र तट से थोड़ा सा दूर अवस्थित है। इसकी उत्तरी सीमाएं गुजरात के जूनागढ़ और अमरेली जिला के साथ मिलती हैं। जबकि दमन मुम्बई के तटीय इलाके से लगभग 190 कि.मी. की दूरी पर स्थित है, इस तरह दमन और दीव के बीच लगभग 768 कि.मी. की दूरी है
5. ऊटी:
यदि आपको प्राकृतिक स्थानों की सैर करने में आनंद आता है तो ऊटी से अच्छी जगह आपके लिए कोई और नहीं। यहां दूर-दूर तक फैली हरियाली, चाय के बागान, तरह-तरह की वनस्पतियां आपको बांधकर रख लेती हैं।
पहाड़ों की रानी ऊटी - नीलगिरी जिले की राजधानी है, इसे उद्गमंडल के नाम से भी जाना जाता है। नीलगिरी का अर्थ है- नीला पहाड़, शायद हरे-भरे पहाड़ों के कारण इसे यह नाम दिया गया है। यह समुद्र तल से 2240 मीटर की ऊंचाई पर है। जब आप कल्लार से कुनूर जाते हैं तो आपको रास्ते में पेड़-पौधों में तथा मौसम में आश्चर्यजनक बदलाव देखने को मिलता है।
6 नैनीताल:
चारों तरफ से पहाड़ियों व जंगल से घिरे नैनीताल की नेचरल ब्यूटी बरबस ही सैलानियों को अपनी और आकर्षित करती है। यहां पर छोटी- बड़ी इतनी झीलें हैं कि इसे ‘झीलों के शहर’ के नाम से भी जाना जाता है। पहले जहां लोग गर्मी से निजात पाने के लिए इस हिल स्टेशन में छुट्टियां बिताना पसंद करते थे, वहीं अब यह साल भर सैलानियों के आकर्षक का केंद्र बना रहता है।
7. हिमाचल-डलहोजी:
हिमाचल प्रदेश के शांत और सुंदर हिल स्टेशन आपको उम्मीदों से अधिक प्रसन्नता देंगे। शहर के शोरगुल और कोलाहल से दूर, ये स्थान प्राकृतिक सौंदर्य और शांति के खजाने हैं। शानदार घाटियों का अद्वितीय चिरस्थायी सौंदर्य और प्रदूषण-मुक्त वातावरण आपको आनंद और तरोताज़गी से भर देगा।
हिमाचल प्रदेश समुद्र स्तर से लगभग 350 से 7000 मीटर की ऊँचाई पर है। हिमाचल अपने सेब के बागों, शंकु वृक्षों से ढ़की चोटियों, सुंदर घाटियों, मचान पर लकड़ियों से बने घरों, मन मोह लेने वाले झरनों और यहाँ के सीधे-सादे लोगों के लिए जाना जाता है।
हिमाचल प्रदेश के निवासी गीत, संगीत और नृत्य के बड़े दीवाने होते हैं। कुल्लु, मनाली, डलहोजी और शिमला हिमाचल प्रदेश के पर्यटन आकर्षण के कुछ प्रमुख केंद्र हैं।
8. लक्ष्यद्वीप:
केरल के समुद्री किनारे से 440 कि.मी. दूर ये बीच लक्ष्यद्वीप के 36 कोरल आईलैंड में से एक है। यहां के केवल 10 द्वीपों पर ही आबादी बसती है, जिसमें से केवल दो पर ही पर्यटकों को जाने की इजाजत है। लक्ष्यद्वीप का ये बीच हर लिहाज़ से ख़ूबसूरत है। समुद्र का साफ़ नीला पानी और बीच की सफ़ेद रेत, जिसके किनारे लगे लंबे-लंबे पेड़ जैसे जन्नत का ही नज़ारा पेश करते हैं।
9. मैसूर:
मैसूर कर्नाटक के दक्षिण भारतीय राज्य में एक प्रमुख शहर है। स्वतंत्रता तक यह मैसूर के पूर्व महाराजा वोडेयार की राजधानी हुआ करता था। बैंगलोर से 140 किलो मीटर की दूरी पर मैसूर ने सदैव अपने भव्य महलों, सुंदर उद्यानों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से पर्यटकों और अतिथियों को आमंत्रित किया है। यह शहर अपने रेशम और मनमोहक चंदन की लकड़ी और सुगंधित धूप के केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध है। आज मैसूर अपने सुविधाजनक आकार और अच्छे मौसम के कारण एक बड़ा पर्यटक गंतव्य बन गया है।
महाराजा पैलेस कर्नाटक के मैसूर शहर में स्थित यहां के आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है। महाराजा पैलेस मिर्जा रोड पर स्थित भारत के सबसे बड़े महलों में से एक है। इस महल की ख़ासियत है इस महल की कल्याण मंडप की काँच से बनी छत, दीवारों पर लगी तस्वीरें और स्वर्णिम सिंहासन। बहुमूल्य रत्नों से सजे इस सिंहासन को दशहरे के दौरान जनता के देखने के लिए रखा जाता है।
10. खजूराहो-पचमढ़ी:
देश में ताजमहल के अलावा अगर कोई पर्यटन स्थसल विदेशी सैलनियों और पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है तो वह निसंदेह खजूराहो ही है। यहां की मूर्तिया में उन्नहत शिल्पप उत्कनष्टा कला, वैभवशाली इतिहास के अलावा एक बैदिक संदेश और सार्थक काम शिक्षा भी दखिती हैा मध्यथ प्रदेश के बुंदेलखण्ड क्षेञ में बसे खजुराहो की मूर्तियों के बारे में ऐताहासिक दस्तावेज बताते है कि चंदेल शासकों ने 9वीं सदी से लेकर 11वीं सदी के पूर्वाद तक इसे गढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी मंदिरों की दीवारों पर बनाई गई अलग-अलग मैथुन मुद्राओं को देख कर लगता है, जैसे, सेक्स की कोई इबारत लिखी गई है।