मूवी रिव्यूः जय हो
फिल्म जय हो तेलुगू की सुपरहिट फिल्म ‘स्टालिन’ का रीमेक है। फिल्म में आम आदमी की सता में बैठे भ्रष्ट, स्वार्थी नेताओं से जंग को मुददा बनाया गया है, ऐसे में सल्लू मियां की यह फिल्म कहीं न कहीं भ्रष्टाचार को मुददा बनाकर दिल्ली के सिंहासन पर बैठी पार्टी ‘आप’ को कुछ फायदा पहुंचा सकती है। सलमान की पिछली कुछ सुपरहिट फिल्में वॉन्टेड, दबंग, रेडी, बॉडीगार्ड, एक था टाइगर पूरी तरह उन्हीं के कंधों पर टिकी ‘वन मैन आर्मी’ टाइप फिल्में थी, लेकिन इस बार सलमान ने इस फिल्म में अपने साथ दो दर्जन से ज्यादा स्टार्स को कहानी का हिस्सा बनाया है। अपनी इस होम प्रॉडक्शन कंपनी की फिल्म में सलमान बार-बार कहते नजर आते हैं, देश सेवा के लिए जरूरी नहीं है कि सेना में भर्ती हुआ जाए या नेता बना जाए। इसके बिना भी आप देश के लिए कुछ अलग और नया काम कर सकते हैं। इतना ही नहीं सलमान ने ‘जय हो’ के माध्यम से अपने फैंस को मेसेज दिया है अगर कभी कोई शख्स आपकी मदद करें तो उसे ‘थैंक्यू’ कहने के बजाए उसके साथ वादा करें कि आप भी भविष्य में 3 और लोगों की मदद करेंगे। सलमान कहते हैं कि अगर ऐसा होता है तो आने वाले दिनों में इससे एक अच्छी चेन चलने लगेगी जिससे देश और समाज को हम बेहतर बनाया जा सकता है। लंबे गैप के बाद पर्दे पर तब्बू, डैनी और नादिरा बब्बर जैसे मंझे हुए स्टार्स के साथ कई अनुभवी कलाकारों की मौजूदगी के बावजूद सलमान खान जब भी स्क्रीन पर आए हॉल तालियों और सीटियों की आवाज से गुंज उठा।
कहानी:
हेडक्वॉर्टर का आदेश न मानने की वजह से सेना से निकाला जा चुका जय अग्निहोत्री (सलमान खान) अब कार मकैनिक बन चुका है। एक ऐसा कार मकैनिक जो सिर्फ खराब कारों को ही ठीक नहीं करता बल्कि अपनी राह से भटकती युवा पीढ़ी को भी ठीक करना चाहता है। मौजूदा सिस्टम में तेजी से पनपते करप्शन और सड़क पर भूख से कराहते मासूमों की चीखें सुन जय ऐसे सिस्टम से लड़ने का फैसला करता है। गुंडों की कैद में फंसी लड़की को जय उनसे छुड़ाता है, फोन पर लड़कियों को हर वक्त परेशान करने वालों से निपटता है। हर किसी की मदद करने और जुल्म-करप्शन के खिलाफ जय का लड़ना स्टेट के भ्रष्ट होम मिनिस्टर दशरथ सिंह पाटील (डैनी) को जरा भी पसंद नहीं। ऐसे में जब जय के पास पाटील की काली करतूतों का कच्चा चिट्ठा पहुंचता है उस वक्त वह उसके और मौजूदा सिस्टम के खिलाफ आम आदमी की जंग की शुरुआत करता है। जय की इस जंग के बाद भ्रष्ट राजनेता और करप्शन में जकड़े पुलिस के भ्रष्ट अफसर शहर के असामाजिक तत्वों को जय की फैमिली को प्रताड़ित करने के लिए भेजते है। दरअसल, जय की मां (नादिरा बब्बर) और उसकी बहन गीता (तब्बू) भी उसकी इस जंग में हर कदम पर उसके साथ है। हां, कहानी में सेक्सी हीरोइन की भरपाई के लिए पिंकी (डेजी शाह) भी हैं जो सलमान के साथ ‘तेरे नैना मार डालेंगे’ वाला गाने के अलावा चंद और सीन्स में भी ब्यूटी परोसती नजर आती हैं।
डायरेक्शन:
सोहेल खान की कहानी और किरदारों पर पकड़ कुछ कमजोर नजर आती है। ऐसा लगता है सोहेल ने अपना सारा ध्यान भाई सलमान के किरदार को बेहतर से बेहतरीन बनाने में लगाया। अगर सोहेल इस प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले स्क्रिप्ट को दुरूस्त बनाने के लिए कुछ वक्त और लगाते तो कहानी और किरदार प्रभावशाली बन सकते थे। ऐसा लगता है सोहेल ने भाई साहब को कैमरे के सामने कुछ भी करने की छूट दी तो बाकी काम कोरियोग्राफर, ऐक्शन डायरेक्टर ने पूरा कर दिया। फैंस को खुश करने के लिए फिल्म में कॉमिडी, इमोशन का तड़का लगाया गया है।
संगीत:
बेशक फिल्म का संगीत म्यूजिक लवर्स में ज्यादा हिट नहीं हो पाया। ‘अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता’, सलमान-डेजी पर फिल्माया ‘तेरे नैना’ के अलावा फोटोकॉपी सॉन्ग संगीत प्रेमियों में पहले से हिट है।
क्यों देखें:
अगर इस बार फिर वॉन्टेड, दबंग और बॉडीगार्ड वाले सल्लू को देखने जाएंगे तो अपसेट होंगे क्योंकि सलमान इस बार पूरी तरह से बदले लुक में कैमरे पर कॉमन मैन की तरह नजर आते हैं। फर्क बस इतना है इस कॉमनमैन के सिक्स पैक है और एक साथ सैंकडों गुंडों को मार गिराने की जादुई ताकत। कुछ नया और टोटली टाइमपास ऐंटरटेनमेंट मूवी देखने जा रहे है तो ‘जय हो’ शायद निराश करे क्योंकि सलमान ऐसा नहीं कर पाए।