रोज 8 गिलास से कम पानी पिएंगे तो किडनी होगी खराब,

रोज 8 गिलास से कम पानी पिएंगे तो किडनी होगी खराब,

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हमारी बॉडी में 70% से ज्यादा हिस्सा पानी का है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डाइजेस्टिव एंड डायबिटीज एंड किडनी डिजीज के मुताबिक रोज सांसों, यूरिन और पसीने के जरिए हमारी बॉडी से ढेर सारा पानी निकल जाता है। इस पानी को रिकवर करने के लिए हमें रोज अपने वजन, एक्टिविटी और मौसम के हिसाब से 3 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए।

दिल्ली के पीएसआरआई हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. रवि बंसल का कहना है कि कम पानी पीने से बॉडी के लगभग हर ऑर्गन पर बुरा असर पड़ता है। बॉडी की टॉक्सिन फिल्टर करने की कैपिसिटी कम हो जाती है। मसल्स सिकुड़ने लगती हैं और ये कंडीशन जानलेवा भी हो सकती है।

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जिम जाने से हो सकता है स्पर्म काउंट जीरो

जिम जाने से भी घट सकती है फर्टिलिटी

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स्पेन की कोरडोबा यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक जिम में जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज और सप्लीमेंट्स लेने से मर्दों की फर्टिलिटी कम हो सकती है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक बॉडी बिल्डिंग के लिए ओवर एक्सरसाइज करने और मसल्स बिल्डिंग के लिए सप्लीमेंट्स और स्टेरॉयड्स जैसी चीजें लेने वाले कई पुरुषों में स्पर्म काउंट जीरो तक पहुंच जाता है

बॉम्बे हॉस्पिटल के कंसल्टेंट डॉ. अभय जैन का कहना है कि ज्यादा जिम करने से बॉडी में ऐसे हॉर्मोन्स ज्यादा बनने लगते हैं जो स्पर्म काउंट घटाते हैं। इसके अलावा जिम से जुड़े और भी कई कारण हैं जो फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचाते हैं।

क्या है समाधान?

फिटनेस चेन विशाल फिटनेस प्लेनेट के संचालक विशाल वर्मा का कहना है कि फिट रहने के लिए जिम हमेशा एक्सपर्ट की निगरानी और सलाह से ही की जानी चाहिए। फिटनेस के लिए हफ्ते में 4 से पांच दिन रोजाना 2 घंटे जिम करना पर्याप्त है। मसल्स बिल्डिंग के लिए स्टेरॉयड्स या अनावश्यक सप्लीमेंट्स बिलकुल न लें। अपने ट्रेनर की सलाह पर डाइट प्लान अपनाएं।

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पुरुषों को भी होती है माहवारी

पुरुषों को भी होती है माहवारी

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ये पढ़कर हैरानी तो आपको जरूर हो रही होगी कि भला पुरुषों को पीरियड्स कैसे हो सकते हैं. इन बातों पर आप खुद ही पहले गौर करें कि क्या आपका पार्टनर पूरे महीने में कुछ दिन छोड़कर शांत और स्थिर रहता है क्या हर महीने वे कुछ दिन थकान या आलस महसूस करता है? क्या आपका पार्टनर अचानक छोटी-छोटी बातों को लेकर अपसेट हो जाता है? क्या वह कुछ दिनों के लिए संवेदनशील हो जाता है? अचानक से मूड स्विंग हो जाता है? कई बार वो बिना मतलब के बहस करने लगता है और अचानक शांत हो जाता है? कई बार वो ऐसे व्यवहार करता है जैसे उसे पीरियड्स हो गए हैं?

वैसे पुरुषों को भी महिलाओं की तरह हर महीने उस दिक्कत को सहना पड़ता है, ये बात एक षोध से पता चली है. इस शोध के मुताबिक इसे मेडिकल टर्म में ‘इरिटेबल मेल सिंड्रोम’ कहते हैं. इस दौरान मर्दों को पेट और कमर में दर्द, चिड़चिड़ापन, भूख ना लगना या बहुत ज्यादा खाना, गुस्सा आना जैसी चीजें होती हैं. हां, पुरूषों की महावारी में उन्हें रक्तस्राव नहीं होता लेकिन वो बहुत ज्यादा डिप्रेसिव हो जाते हैं. हालांकि शोध में कहा गया है कि हर चार में से एक पुरूष में यह होता है.

कई रिसर्च भी ये साबित कर चुकी हैं कि पुरुषों के हार्मोंस में मासिक चक्र की तरह बदलाव आता है. अगर आपका पार्टनर चिड़चिड़ा होता है, कई बार अचानक इमोशनल हो जाता है या उसमें मूड में उतार-चढ़ाव आता है तो हो सकता है कि उनका हार्मोंस बदलने का मासिक चक्र चल रहा हो. आपको इस दौरान अपने पार्टनर को समझने की जरूरत है और उसका साथ देने की जरूरत है. ऐसे समय में पार्टनर को गले से लगाएं उन्हें सहानुभूति दें. तभी वे इस हार्मोनल उतार-चढ़ाव से लड़ पाएंगे.

गौरतलब है कि इस शोध के लिए करीब 2412 लोगों पर अध्य्यन किया गया. सर्वे में कई महिलाओं ने अपने पार्टनर्स का इंटरव्यू किया, जिसमें उनके पार्टनर ने कई ऐसी कंडीशंस के बारे में बताया जो आमतौर पर मासिक धर्म से संबंधित हैं थकान, संवेदनशीलता, एंजाइटी मूड बदलना जैसे लक्षण.

इस सर्वे में भाग लेने वाली तकरीबन 45 फीसदी महिलाओं का कहना था कि उन्होंने हर महीने के कुछ दिनों में अपने पार्टनर्स में ये लक्षण देखें हैं.

तकरीबन 50 फीसदी महिलाओं ने ये स्वीकार किया कि उनके पति पीरियड्स के दौरान यानी हार्मोंस बदलाव के दौरान चिड़चिड़े हो जाते हैं.

कई महिलाओं ने ये भी माना कि उनके पति हर महीने के कुछ दिन काफी ज्यादा थकान महसूस करते हैं. जबकि कईयों ने माना कि उनके पति हर महीने के कुछ दिन बहुत अधिक भूख महसूस करते हैं. साथ ही कुछ ने माना कि उनके पति अचानक अपसेट हो जाते हैं और उनका मूड बहुत जल्दी-जल्दी बदलता है.

‘इरिटेबल मेल सिंड्रोम’ के लक्षणों में कन्यूजन, सेक्स इच्छा में कमी, एंजाइटी, थकान, गुस्सा आना, डिप्रेशन, मूड बदलना और सुस्ती आना जैसे लक्षण शामिल है. आमतौर पर वही महिलाएं पुरुषों के इन लक्षणों को पहचान सकती हैं जो उनके बेहद करीब हैं. अध्ययन के दौरान पता चला कि पीड़ित मर्दों की महिला साथियों ने यह माना कि पुरुष माहवारी जैसी चीज सच में होती है जिनके बारे में उनके पार्टनर्स को पता ही नहीं होता है.

रिसर्च ने ये भी दावा किया कि पुरुष हार्मोंस बदलने के दौरान हर घंटे में हार्मोंस स्तर में बदलाव को महसूस कर पाते हैं. टीनेज, युवावस्था और मिड लाइफ में ये बदलाव बहुत अधिक महसूस होता है. बाकी उम्र के पड़ाव में पुरुषों को ये कम ही महसूस होता है.

अब तो आप समझ गए होंगे पुरुषों में होने वाली माहवारी महिलाओं से थोड़ी अलग होती है. जिस तरह पुरुष आपका साथ देते हैं आपको भी उस दौरान उन्हें बहुत प्यार देना चाहिए.

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स्टाइलिश्‍ा ही नहीं सेहतमंद भी रखती है मूंछ

 

 

स्टाइलिश्‍ा ही नहीं सेहतमंद भी रखती है मूंछstyle

यदि आपसे कहा जाए कि दाढ़ी और मूंछ रखना हेल्थ के लिए फायदेमंद है तो आप शायद यकीन न करें. लेकिन ये सच है. कुछ लोगों के लिए रेग्युलर शेव करना रूटीन का एक काम है तो कुछ लोगों के लिए दाढ़ी और मूंछ रखना फैशन है. हो सकता है कि दाढ़ी रखने वालों को कुछ लोग आलसी कहें. लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है. इससे न सिर्फ आपकी पर्सनैलिटी दमदार दिखती है, बल्कि यह फायदेमंद भी है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि दाढ़ी और मूंछ रखने के

मूंछ दाढ़ी अल्टा वायलट किरणों से बचाती है साथ ही टैनिंग की प्राब्लनम नहीं होती.

जिन्हें धूल मिटटी से एलर्जी हैं उनके लिए ये फिल्ट र का काम करते है. नाक में धूल मिटटी नहीं जाती. चेहरे पर झुर्रियां देर से पडती हैं साथ ही अगर पड गई हो तो दिखाई नहीं देती.

ब्लैक हेडस और पिंपल्स  से बचाती है दाढी साथ ही आपके लुक को भी वाइल्ड बनाता है.

चेहरे के दाग धब्बे को बहुत आसानी से छूपा देती है दाढ़ी.

तेज हवा से चेहरा रूखा और बेजान हो जाता है. इससे भी बचाती है दाढ़ी.

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शेविंग ब्लेड का भी होता है एक्सवपायरी डेट

शेविंग ब्लेड का भी होता है एक्सवपायरी डेट

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शेविंग करते समय छोटी-सी भी लापरवाही आपके फेस को बिगाड़ सकती है.  ब्यूटी एक्सपर्ट का कहना है कि रेजर, ब्लेड, शेविंग ब्रश और क्रीम को समय रहते चेंज कर लेना चाहिए. वरना फेस पर इचिंग और लाल दाने की प्रॉब्लस हो सकती है. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि शेविंग किट में मौजूद सामानों को समय समय पर रिप्लेस करते रहें.

शेविंग करते समय रेजर को ग्लाइड करने में काफी मेहनत करनी पडती है. इस दौरान कई बार चेहरे पर कट लग जाते हैं. इस स्थिति में ब्लेरड को चेंज कर देना चाहिए.

रेजर ब्लेड का कलर चेंज हो रहा हो तो इस स्थिति में भी बदल देना चाहिए नहीं तो यह त्वचा के लिए खतरनाक हो सकता है।

3 या 4 बार यूज करने के बाद रेजर ब्लेड फेक देना चाहिए नहीं तो आपके स्किन में रियेक्शेन हो सकता है.

शेविंग ब्लेड चेंज करने का कम या ज्या दा समय आपके बालों की थिकनेस पर भी डिंपेड करता है कुछ लोगों के बाद पतले होते हैं तो कुछ के मोटे.

 

शेव करने के बाद आपके चेहरे पर इचिंग हो रही हो या जलन हो रही है तो समझ लें कि आपके ब्लेड की शार्पनेस खत्मप हो गई है.

शेविंग के बाद भी लगता है कि चेहरा क्लिन नहीं हुआ तो ब्लेहड चेंज करने का समय आ गया.

चेहरे पर दाने आ रहे हैं इसका मतलब है कि आपके ब्लेआड की शार्पनेस कम हो गई है.

ब्रश से क्रीम का फोम अच्छा बनता है और शेव बहुत क्लीेन होता है आपको मेहनत नहीं करनी पडती इसलिए अगर ब्रश के बाल फैल गए हो तो ब्रेश चेंज करें.

शेविंग क्रीम में से पानी निकल रहा हो अर्थात क्रीम बदलने का समय आ गया. ऐसे क्रीम अगर लगाएंगे तो रिएक्शंन हो सकता है.

शेविंग क्रीम लगाने के बाद बाल मुलायम नहीं हो रहे अर्थात क्रीम खराब है उसे बदल दें. हमेशा क्रीम ब्रश और ब्लेड देखकर चुनें क्योंकि फेस इज द इंडेक्स ऑफ माइंड

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वेबसाइट पर उपलब्ध है मां का दूध

वेबसाइट पर उपलब्ध है मां का दूध

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भारत में पहला मदर मिल्क बैंक कोलकाता में खोला गया है. इससे उन तमाम माओं और नवजात के जीवन में खुषियां  पसरेंगी जो मां के दूध से वंचित रह जाते हैं और माएं अपनी नवजात संतान को छाती से लगाकर दूध पिलाने की ममता से मरहूम रह जाती हैं. हमारे देष में इस तरह के मदर मिल्क की षुरुआत अब हुई है जबकि विदेषों में मदर मिल्क बैंक तो कई सालों से चल रहे हैं और अब तो सोषल नेटवर्किंग साइट और कई अन्य तरह के माध्यमों से मां का दूध उपलब्ध करवाया जा रहा है.

हाइटैक जमाने में अब सब कुछ संभव हो गया है. इंटरनेट का बढ़ता प्रभाव अब आम आदमी की जिंदगी में इस कदर घुल गया है कि अब सारा काम इंटरनेट के जरिए ही करना चाहते हैं. सोषल नेटवर्किंग साइट के जरिए मम्मियां पैसे की चाहत में अपना दूध बेच रही हैं. एक ओर जहां अपने फिगर को संतुलित रखने की चाह में मॉडर्न महिलाएं अपने बच्चों को अपना दूध नहीं पिलाना चाहती वहीं ब्रिटेन और अमेरिका की मम्मियां पैसे की चाह में अपना दूध बेच रही हैं. ये काम वो सोषल नेटवर्किंग साइट फेसबंक और फौरन कम्युनिटी की मदद से कर रही हैं.

पिछले दिनों अखबार डेली मेल ने मदर मिल्क इन सेल पोस्ट में लिखा है कि मां का दूध खरीदना या बेचना काफी साफ और निजी तरीके से किया जाता है, ताकि वो हेल्दी रहे. डोनर महिलाएं डिमांड के अनुसार ताजा दूध सप्लाई करती हैं. साइट के अनुसार यहां मिल्क बैंक में दूध देने और लेने दोनों का ही एक उचित प्रबंध है. जो माताएं अपने बच्चे को किसी कारणवष दूध नहीं पिला पातीं, उनके दूध को ही यहां स्टोर किया जाता है और पायष्चराइज्ड किया जाता है. इसके साथ ही जो महिलाएं अपना दूध बेचने आती हैं पहले उनका गंभीरता से हेल्थ चेकअप किया जाता है, उनके दूध की लैबोरेटरी में जांच की जाती है कि इसमें किसी भी तरह के वायरस तो नहीं हैं खासकर एचआइवी और हेपेटाइटिस जैसी बीमारी की आषंका तो नहीं है, उसके बाद एक खास तकनीक के बाद यह दूध उपलब्ध करवाया जाता है. विदेषों में मां का दूध खरीदने के नियम बड़े सख्त हैं और चाहे कोई भी वेबसाइट पर इन विज्ञापनों को प्रदर्षित नहीं कर सकता है. सिर्फ रजिस्टर्ड संस्थाएं ही ब्रेस्ट मिल्क खरीद और बेच सकती हैं और अपना विज्ञापन दे सकती हैं.

 

मांओ के चेहरे पर खुषी ला रहा सोषल मीडिया

सोषल मीडिया महज गपषप करने का ही प्लेटफॉर्म नहीं बल्कि सोसायटी के हेल्प का भी एक बढ़िया साधन है,

इसका नजारा ऑस्ट्रेलिया में देखने को मिल रहा है. यहां जो मांए अपने बच्चों को दूध पिलाने में असमर्थ हैं वे सोषल मीडिया के जरिए उन अजनबी महिलाओं की हेल्प ले रही हैं जो अपना ब्रेस्ट मिल्क देने को तैयार है.

 

सोसायटी की मदद

हा्रूमन मिल्क 4 हा्रूमन बेबीज ऐसा ही एक नेटवर्क है. जिन पेरेंट्स को ब्रेस्ट मिल्क की जरूरत है और जो महिलाएं मुफ्त में इसे देने को तैयार हैं, यह नेटवर्क उन दोनों को आपस में जोड़ता है. इस नेटवर्क पर जहां कई पैरेंट्स ने ब्रेस्ट मिल्क की मांग की है वहीं कई महिलाआेंं ने इसे देने पर सहमति जताई है.

 

मकसद है खास

इस नेटवर्क के जरिए सिर्फ छोटे बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि उन लोगों के लिए भी ब्रेस्ट मिल्क का इंतजाम होता है जिन्हें इसकी जरूरत है. ऐसे में एक वाकये में एक महिला ने कैंसर से पीड़ित अपने पति के लिए इसकी मांग की थी. डॉक्टरों ने महिला को सुझाव दिया था कि ब्रेस्ट मिल्क से उसके पति का इम्यून सिस्टम मजबूत होगा. महिला की इस मांग पर कई यूजर्स ने अपना ब्रेस्ट मिल्क डोनेट किया.

 

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स्मोकिंग से खराब होती है स्पर्म की क्वालिटी

स्मोकिंग से खराब होती है स्पर्म की क्वालिटी

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क्या आप स्मोकिंग की लत से जकड़े हुए हैं तो ये रिसर्च आपके लिए ही है. एक नई रिसर्च के मुताबिक स्मोकिंग करने वालों के स्पर्म यानी षुक्राणुओं की क्वालिटी खराब होती है. सिगरेट या बीड़ी का आप जितना ज्यादा सेवन करेंगे आपके स्पर्म की अम्लीयता उतनी अधिक होगी और उसका असर सीधे तौर पर षुक्राणुओं पर पड़ेगा.

अमेरिका में हुए इस रिसर्च में 40 पुरुषों के वीर्य का अध्ययन किया गया. जिनमें से 20 धूम्रपान करते थे और बाकी के 20 सिगरेट का सेवन नहीं करते हैं. सभी प्रतिभागियों के शुक्राणुओं में 422 प्रोटीन का अध्ययन किया गया. जो लोग धूम्रपान करते थे उनके वीर्य में एक प्रोटीन तो किसी में नहीं पाया गया. 27 प्रोटीन ऐसे थे, जिनकी मात्रा कम थी और 6 की मात्रा अधिक पायी गई. प्रोटीन के इसी अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला गया कि धूम्रपान की वजह से वीर्य की अम्लीयता यानी एसिडिक नेचर बढ़ जाता है, जिसका असर शुक्राणुओं पर पड़ता है. शुक्राणुओं के जरूरी प्रोटीन में कमी आने लगती है. इस वजह से उर्वरण के समय ऐसे शुक्राणु अच्छे परिणाम नहीं दे पाते हैं. बीजेयू इंटरनेशनल में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया है कि धूम्रपान करने से नपुंसकता आने का मुख्य कारण शुक्राणुओं की गुणवत्ता है.

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कहीं चीन से आए नकली अंडे तो नहीं खा रहे

कहीं आप चीन से आए नकली अंडे तो नहीं खा रहे

 

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भारत में इस वक्त चीनी सामान ना खरीदने के लिए जोरो शोरों पर विरोध हो रहा है। कुछ दिनों पहले ही चीन से प्लास्टिक के चावल भारत आ रहे थे। लेकिन अब एक नया खुलासा हुआ है। देशभर में चीनी उत्पादों के विरोध के बीच केरल के कई इलाकों में चीन में निर्मित कृत्रिम अंडा बिकने से राज्य सरकार सक्रिय हो गई है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने जांच के आदेश दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यहां अंडा तमिलनाडु से आया और इडुक्की जिले के रास्ते लाया गया है।

बता दें कि देश के अन्य हिस्सों में भी इस नकली चीनी अंडे की बिक्री हो सकती है। नकली अंडा असली अंडे की तुलना में खुरदुरा होता है तथा इसका रंग भूरा सा होता है। जबकि असली अंडा उपर से चिकना तथा सफेद होता है। उबालने के बाद नकली अंडे का उपरी हिस्सा जो कैल्शियम कार्बोनेट से बना होता है कड़ा हो जाता है। अंदर का सफेद हिस्सा भी कड़ा रहता है। इसके अवाला पीली जर्दी को गेंद के समान उछाला जा सकता है।

यह है अंतर

चीन में बने अंडे का कैल्शियम कार्बोनेट से बने उपरी आवरण कैल्शियम कार्बोनेट, जिप्सम पाउडर तथा मोम से बना हुआ होता है। इसके भीतर सोडियम एलिग्नेट, एलम, जिलेटिन तथा कैल्शियम क्लोराइड का मिश्रण भरा रहता है. कुछ अंडों के भीतर स्टार्च तथा राल भी पाया गया है। कृत्रिम अंडे का हल्के भूरे रंग का बाहरी आवरण थोड़ा खुरदुरा होता है, जबकि असली का चिकना होता है। उबालने के बाद कैल्शियम कार्बोनेट का आवरण तोड़ने पर कृत्रिम अंडे का भीतरी हिस्सा असली की तुलना में कड़ा होता है। भीतर की पीली जर्दी रबर की गेंद की तरह हो जाती है और थोड़ी ऊंचाई से छोड़ने पर गेंद जैसी उछलती भी है। यह धारदार वस्तु से ही कटती है।

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प्रक़ति ने बनाई हर अंग जैसा फ्रूट्स

प्रक़ति ने बनाई  हर अंग जैसा फ्रूट्स

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कई बार अखरोट को देखकर मन में यह सवाल उठता था कि ऐसी क्या बात है इस फ्रूट्स में जो ब्रेन को सिर्फ न्यूट्रिशन ही नहीं देता बल्कि उसके मिलता जुलता भी है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने इस रहस्य से पर्दा उठाया है. कई सालों के षोध के बाद उन्होंने बताया कि शरीर के किसी अंग की आकृति से मिलते-जुलते फूड का सेवन उस अंग के लिए फायदेमंद होता है. हालांकि उसमें मौजूद विटामिन्स, प्रोटीन्स और मिनरल्स हर तरीके से सेहत को फायदा पहुंचाते हैं लेकिन उस खास अंग को खासतौर से. हमारे आसपास ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिनका सेवन करके लगभग बॉडी के हर पार्ट्स को हेल्दी रखा जा सकता है.

ब्रेन फूड है अखरोट

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देखने में यह ब्रेन (मस्तिष्क) का छोटा रूप लगता है. इसमें मौजूद ओमेगा- 3 फैटी एसिड ब्रेन के लिए बेहतर माना गया है. अखरोट में फैटी एसिड लिनोलिक और लिनोलेनिक एसिड के अलावा विटामिन ई, बी2, प्रोटीन, फोलेट, फाइबर और कई सारे मिनरल्स जैसे फॉस्फोरस, पोटैशियम और सेलेनियम भी पाया जाता है जो सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं.

हार्ट के चैंबर की तरह है टमाटर

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टमाटर को अगर आप काटते हैं तो आपको उसके अंदर मनुष्य के हार्ट की तरह चार चैंबर नजर आते हैं. टमाटर में मौजूद विटामिन्स ब्लड प्यूरिफायर का काम कर हार्ट को हेल्दी रखते हैं. इसके अलावा टमाटर में कैल्शियम और फॉस्फोरस भी मौजूद होता है. टमाटर का खट्टा स्वाद इसमें पाए जाने वाले साइट्रिक एसिड और मैलिक एसिड के कारण होता है. एंटी-ऑक्सीडेंट के खजाने टमाटर में विटामिन ए, सी, फोलिक एसिड और बीटा कैरोटीन की मौजूदगी हार्ट के लिए बहुत ही अच्छे माने जाते हैं. इसका लाइकोपीन तत्व स्ट्रोक की संभावनाओं को 65 प्रतिशत तक कम करता है.

गाजर में दिखता है आंखों का षेप

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इसके स्लाइस करने पर उनमें आंखों का शेप नजर आता है. यह आंखों को हेल्दी रखने वाले विटामिन-ए का बहुत ही अच्छा स्रोत होता है. गाजर के रस में विटामिन ए, बी, सी, डी, ई, जी और के पाए जाते हैं. एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर गाजर आंखों के सेल और रेडिकल्स की डैमेजिंग को रोकता है. बीटा केरोटीन की मौजूदगी कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को दूर रखती है. इम्यूनिटी सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाने के साथ ही आंखों की रोशनी को भी बनाए रखता है और मोतियाबिंद, भेंगापन की समस्या को भी कम करता है.

 रूबार्ब की डंठल हड्डी की तरह नजर आती है

इस पौधे की डंठल हड्डी की तरह नजर आती है. इसमें मौजूद तत्व हड्डियों के बनने और उनकी मजबूती में मदद करते हैं. भोजन में कैल्शियम की अच्छी-खासी मात्रा शामिल करनी चाहिए. सिर्फ एक कप रूबार्ब से 105 मिग्रा कैल्शियम मिलता है जो डेली कैल्शियम की जरूरत को कई गुना तक पूरा करता है.

 किडनी बीन्स है किडनी का बॉडीगार्ड

kidney

अंग्रेजी में किडनी बीन्स कहलाने वाली यह सब्जी ब्लड प्रेशर और शुगर को मेंटेन कर किडनी की रक्षा करती है। इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में आयरन मौजूद होता है जो बॉडी को एनर्जी देता है। विटामिन के और फाइबर के साथ इसमें प्रोटीन की अधिकता पाई जाती है। राजमा में फॉस्फोरस, पोटैशियम, प्रोटीन और मैग्नीशियम होता है जो किडनी के सही फंक्शन के लिए बहुत ही जरूरी माना गया है। क्रोनिक किडनी डिसीज से परेशान मरीजों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए।

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गुस्सा अभिशाप नहीं, वरदान है /Anger is Good For You

गुस्सा अभिशाप नहीं, वरदान है

Women angry on her boyfriend                                        –

‘‘गुस्सा’’ जिसे हमारा समाज इंसान की कमजोरी, बेवकूफी, पागलपन या गंवारपन समझता है, वास्तव में हमारे लिए अभिशाप नहीं, वरदान है । गुस्सा भी प्यार, ममता, स्नेह और दया जैसी ही एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है, जो हमें सहज और स्वस्थ बनाये रखती है । यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए उतना ही जरूरी है, जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आहार ।

पर हम इस बात को मानने और समझने से मुंह चुराते हैं, क्योंकि हम सभ्यता का मुखौटा चढ़ाये हैं । सभ्यता का तकाजा यही है कि हम सदा प्रसन्नचित्त, विनम्र और मृदुभाषिणी बने रहें । भले ही अन्दर से हम जल-भुन कर कवाब हो रहे हों, मगर हमारे सौम्य मुखमंडल पर एक सहज मुस्कान और वाणी में शहद जैसी मिठास बनी ही रहनी चाहिए । क्या आपने कभी सोचा है कि इस ‘‘सिन्थेटिक सभ्यता’’ की खातिर ही एक दिन में हमें कितने मुखौटे बदलने पड़ते हैं या पूरे 24 घंटे में वैसे कितने क्षण आप निकाल पाती हैं, जब आप अपने प्राकृतिक या स्वाभाविक रूप में रहती हैं । कई बार तो यह नाटक करते-करते जिन्दगी ही एक नाटक बनकर रह जाती है ।

हम लोग रोज जीते हैं, नाटकों और मुखौटों की जिन्दगी

कई घटनायें हम रोज ही सुनते हैं, बल्कि ऐसी ही जिन्दगी हम में से अधिकांश लोग जीते भी हैं, नाटकों और मुखौटों की जिन्दगी, जिसे मूलतः हम पसन्द भी नहीं करते । यों हम अन्दर-ही-अन्दर घुटते भी हैं, सुलगते भी हैं, उलझते भी हैं, लेकिन आश्चर्य ! फिर भी रेशम के कीड़े की तरह अपने चारों ओर रेशम के जाल बुनते ही रहते हैं । क्या हम भी रेशम के कीड़े की तरह इस बात से अनभिज्ञ हैं कि इस जाल में हम खुद ही फंसेंगें? हम सभ्यता के चाहे जितने गिलाफ चढ़ा लें, ऊपर से चाहे जितने आदर्शवादी बन जायें, मगर अन्दर से तो इंसान ही रहेंगें और गुस्सा इंसानियत की निशानी है, हमारा स्वभाव हमारी प्रकृति है ।

      सोचिये, गुस्सा कब और क्यों आता है ? उदाहरण के लिए कुछ घटनायें ले लेते हैं ।

      शाम को पतिदेव के साथ आपको किसी के घर खाने पर जाना है । आप शाम को तैयार होकर घंटों बैठी रहीं और रात को 10 बजे पतिदेव आकर कहते हैं, ‘‘अरे, मैं तो भूल ही गया था ।’’

      आज रात घर पर कुछ लोगों की दावत है । सामान की लिस्ट आपने सुबह ही दे दी थी, मगर पतिदेव शाम को सामान लाना भूल ही गये ।

      शाम को आप थकी-हारी आॅफिस से लौटीं तो घर में ताला पड़ा था ।

      आपको बहुत सारा काम करना है और आपने घर में कह दिया है कि कोई भी आये तो कह देना, ‘‘घर में नहीं हैं ।’’ फिर भी आपके एक गप्पी दोस्त से कोई कह दे कि ऊपर के कमरे में बैठी पढ़ रही हैं ।

      अपनी कोई खास राज की बात अपनी पक्की दोस्त को बताइये और उसने वह राज सबको बता दिया ।

      किसी आॅफिस में आपके दो मिनट के काम के लिए क्लर्क ने आपको दो घंटे बैठाये रखा और फिर भी काम नहीं किया ।

      आपके आॅफिस का कोई पुरुष आपकी विनम्रता का लाभ उठाने की कोशिश करता है । पीठ पीछे नमक-मिर्च लगाकर आपकी बातें सुनाता है ।

      आपको किसी जरूरी मीटिंग में पहुंचना है और टैक्सी वाले की बेवकूफी से आपको वहां पहुंचने में देर हो जाती हे ।

      आपके सुपुत्र का इम्तहान सिर पर है और वह दिन भर क्रिकेट खेलता है और शाम से टी.वी. देखने बैठ जाता है ।

अपनी नाराजगी जाहिर करना बेहद जरूरी

इसी तरह की बहुत सी बातें हैं, जो हमें गलत या बुरी लगती हैं, जिनसे हमें चोट पहुंचती है, मानसिक आघात लगता है, हमारी भावनाओं को ठेस लगती है, हमें दुख होता है और हमें गुस्सा आता है । ऐसी प्रतिकूल और अनचाही स्थितियों के लिए गुस्सा ही सबसे अच्छी सही और स्वाभाविक प्रतिक्रिया है । ऐसे में गुस्सा कर लेने से एक तो हमारे दिल का गुबार निकल जाता है, हमारी भावनाओं को बाहर निकलने का एक रास्ता मिल जाता है और हमें यह भी सुकून हो जाता है कि हमारी चोट का एहसास दूसरों को हो गया है । यह गुस्सा एक सबक हो जाता है और दूसरों की जल्दी हिम्मत नहीं पड़ती कि दुबारा हमारे साथ कोई धोखा, चालाकी या विश्वासघात करें । इसीलिए ऐसी स्थितियों पर अपनी नाराजगी जाहिर करना बेहद जरूरी है ।

गुस्सा कीजिये, ताकि आप बाद में खुश रह सकें

कुछ लोग समझते हैं कि गुस्सा करना इन्सान की सबसे बड़ी कमजोरी है और गुस्सा पी जाना सबसे बड़ी  बहादुरी । उनका ख्याल है कि गुस्से को वश में रखकर ही कोई सम्बन्धों को मधुर बनाये रखा जा सकता है और गुस्सा करने से संबंधों में दरार पैदा हो जायेगी, संबंध टूट जायेंगें, दोस्त मुंह मोड़ लेंगें और हमारी छवि एकदम बिगड़ जायेगी । कुछ लोग कहते हैं कि हमें गुस्सा कभी आया ही नहीं । ऐसे लोग ही हमें बहका देते हैं, गुस्सा उन्हें भी आता है । वे न सिर्फ दूसरों को धोखा दे रहे हैं बल्कि खुद भी धोखे में जी रहे हैं । आप सोचिये जब आप एक दूसरे से अपने दिल की बात कहते ही नहीं, तो आपके संबंध घनिष्ठ और मधुर कैसे हो सकते हैं ? ऐसे संबंध मधुरता का भ्रम तो बनाये रख सकते हैं, लेकिन वास्तव में कभी मधुर नहीं हो सकते । अब जरा यह भी देख लीजिए, कि गुस्से को दबाये रखने से क्या होता है ? मान लीजिए, आप एक आधुनिक महिला हैं, आपके पति की किसी लड़की से दोस्ती है, मगर आप इसे बुरा नहीं समझतीं, एक दिन आपको पता चलता है, कि आपके श्रीमान् उसके साथ पिक्चर गये, जबकि आपके साथ पिक्चर जाने की उन्हें कभी फुरसत ही नहीं मिलती । आपको गुस्सा आता है, मगर आप कुछ नहीं कहतीं, सभ्यता के नाम पर संयत रह जाती हैं, लेकिन आपके अन्तर्मन में तो गुस्से का लावा उबलने ही लगा है । फिर आपको ऐसी ही कोई और बात पता चलती है, लेकिन आप सच को स्वीकारना नहीं चाहतीं । गुस्सा करने से कहीं बात और न बिगड़ जाये, यह  डर रहने लगता है आपको । आपके मन में एक अन्तद्र्वंद्व शुरू हो जाता है । अपने गुस्से पर काबू रखने के लिए आप नये-नये तर्क तलाश लेती हैं । गुस्से से बचने के लिए बहुत-सी बातें सुनते हुए भी अनसुनी कर देती हैं, बहुत-सी घटनायें देखकर भी अनदेखी कर देती हैं और बहुत कुछ समझाने के बावजूद उसे समझना नहीं चाहतीं और उसके लिए मजबूरन आप एक मजबूत-सा कवच अपने चारों ओर बना लेती हैं, ताकि कोई सच्ची और सहज भावना कहीं से फूट न पड़े । आपकी संवेदनशीलता, आपका स्पष्ट दृष्टिकोण, आपका असली स्वभाव, सच्चाई, सरलता, आत्मविश्वास सब कुछ उस कवच के अन्दर रह जाता है । बाहर होती है तो बस एक चैकस सतर्कता, कहीं से असलियत न दिख जाये वह चिंता, बस । ऐसे में आपका व्यवहार कभी सहज हो ही नहीं सकता । इस तरह आत्मसंयम के नाम पर आप अपने ऊपर जुल्म करती हैं । अपने व्यक्तित्व को सिर्फ खोखला तथा कमजोर बनाती हैं । आपकी यह तटस्थता और उदासीनता की नीति अन्ततः संबंधों को तोड़ने में ही सहायक होती है, जोड़ने में नहीं । इसीलिए यदि आपको कोाई बात बुरी लगती है, तो तुरन्त गुस्सा कीजिये, ताकि आप बाद में खुश रह सकें । भले ही लोग आपको गंवार या जाहिल कहें ।

आवेग और उत्तेजना भरे गुस्से से कोई फायदा नहीं

गुस्सा करने का यह मतलब बिल्कुल नहीं है, कि आप गुस्से में घर के बर्तन तोड़ ड़ालें, या खाना उठा कर फेंक दें, जिससे नाराज हों, उससे बोलना ही छोड़ दें, या गुस्से में घर छोड़कर चली जायें या फिर स्वयं  भी कोई ऐसा कुछ करने लगें, जिससे आपको जलाने वाला भी खुद भी गुस्से की आग में जलने लगे । इस तरह के आवेग और उत्तेजना भरे गुस्से से कोई फायदा नहीं है । इससे एक तो आपके मन की बात मन में ही रह जायेगी । दूसरे लोग आपसे दूर भागने लगेंगें और आप कई मानसिक एवं शारीरिक बीमारियों जैसे अल्सर, हाई ब्लड़ प्रेशर और सिर दर्द आदि की शिकार हो जायेंगीं । ऐसे गुस्से को हम निरर्थक गुस्सा कह सकते हैं ।

कहा गया है – ‘क्रोध मूर्खता से आरम्भ होता है और पश्चाताप पर समाप्त होता है ।’ शायद यह उक्ति निरर्थक गुस्से के लिए सही बैठे मगर यदि गुस्सा बुद्धिमानी से शुरू किया जाये और सही ढंग से किया जाये तो निश्चय ही पश्चाताप नहीं, बल्कि एक आत्मसंतोष की निश्चिंतता की ओर एक आंतरिक खुशी की अनुभूति होगी ।

गुस्सा करने का सही ढंग

आइये, अब ‘मूल मंत्र’ की तरफ बढ़ें और देखें कि गुस्सा करने का ‘सही ढंग’ क्या है ?

सबसे मुख्य बात तो यह है कि जब भी कोई अनचाही स्थिति पैदा हो और आपको गुस्सा आ जाये तो उसे जाहिर करने से पहले यह सोच लीजिए कि आपके गुस्सा होने के चार उद्देश्य हैं –

(1)    आपको जो मानसिक आघात लगा है, जो दुख हुआ है, दसरे को उसका पूरा-पूरा एहसास कराना।

(2)    इस दुःखदायी स्थिति को बदलना ।

(3)    ऐसी कष्टप्रद घटनाओं को या बातों को आगे होने से रोकना, जिनसे आपको दुख पहुंचा था ।

(4)    अपने संपर्क और संबंधों को अधिक घनिष्ठ बनाना ।

दूसरी बात यह कि जब आपको किसी पर गुस्सा आये तो उसे व्यक्त करने से पहले स्वयं से ये प्रश्न जरूर करें –

(1)    आप क्यों नाराज हैं ?

(2)    आप क्या चाहती हैं ?

(3)    आप क्या करें कि जिससे आपका दुख भी दूर हो जाये और गुस्सा भी शांत हो जाये ?

यह सब सोच लेने के बाद,

बिना कोई भूमिका बांधे आप अपनी बात शुरू कर दीजिए । जो कुछ भी आपके मन में है और जो कुछ भी आप चाहती हैं, एकदम साफ-साफ कह दीजिए । उदाहरणार्थ आपके पति रोज देर से घर आते हैं  या  शराब  पीकर घर आते हैं और आपको उनकी यह हरकत कतई पसन्द नहीं है तो आप सीधे-सीधे उनसे कहिए कि तुम्हारी यह आदत मुझे पसन्द नहीं है, तुम्हें नशे में देखकर मुझे तुमसे चिढ़ होने लगती है, मुझे तुम नाली के कीड़े जैसे गंदे दिखने लगते हो आदि-आदि । मतलब यह कि आपके मन में जो विचार हैं, उन्हें बिना किसी बनावट के ज्यों-के-त्यों दोहरा दीजिए चाहे भाषा कितनी ही कटु क्यों न हो । जाहिर है पति भी ताबड़तोड़ जवाब देंगें । हो सकता है वह यह भी कह दें । ‘‘तुम हो किस खेत की मूली ? तुम्हारी परवाह ही कौन करता है ?’’ ऐसे में आप जरा भी विचलित न हों और रोएं भी नहीं, अपनी बात पर अड़ी रहें, कह दें ‘‘मैं तुम्हारी पत्नी हूं, मेरी चिंता तुम्हें करनी ही पड़ेगी ।’’ और आप ऐलान कर दीजिए, ‘‘आइंदा चाहे जो भी हो मैं यह सब कतई बर्दाश्त नहीं करूँगीं ।’’ संभव है, इसके बाद आपके पति बड़बड़ाते हुए या पैर पटकते हुए या गालियां देते हुए बाहर निकल जायें । अगर आप अपनी बात पूरी कह चुकी हैं, कोई और शिकायत, कडुवाहट मन में अटकी नहीं रह गयी है, तो उन्हें जाने दीजिए । पीछे मत पड़िये यह न सोचिये कि निर्णय तुरन्त हो जायेगा । उन्हें थोड़ा समय दीजिए, हो सकता है गुस्सा ठंडा होने पर वह स्वयं आपसे माफी मांगें या थोड़े दिन बाद आप स्वयं ही उनके व्यवहार में मनचाहा बदलाव महसूस करें और आपकी नाराजगी दूर हो जाये तथा आपके आपसी संबंध पहले से अधिक घनिष्ठ हो जायें ।

गुस्सा करते समय इन बातों का ध्यान रखिये -

(1)    व्यंग्य और तानों का प्रयोग करने के स्थान पर सादी भाषा में गुस्सा प्रकट करें ।

(2)    सामने वाले को नीचा दिखाने की कोशिश न करें ।

(3)    उसकी बातों पर विश्वास न करें और उसे अपनी सफाई देने का पूरा मौका दें ।

(4)    उसको सजा देने के इरादे से या उसे चिढ़ाने के लिए बेतुकी बातें न करें ।

(5)    अगर आप गुस्सा करती हैं तो दूसरे का गुस्सा सहन करना भी सीखिये । और यदि आप इतने गुस्से में हैं कि आप किसी बात का ध्यान नहीं रख सकतीं तो फौरन गुस्सा न कीजिए, उठकर अपने कमरे में चली जायें, रेडियो या टी.वी. खोलकर बैठ जायें या संगीत सुनने लगें या फिर घर से बाहर कहीं चली जायें और जब गुस्सा थोड़ा शांत हो जाये तो ऊपर लिखे ढंग से अपना गुस्सा व्यक्त करने की कोशिश करें, तभी आपका गुस्सा कारगर होगा ।

एक खास बात और समझ लीजिए

गुस्सा होने के बाद आपको कभी शर्मिन्दा नहीं होना चाहिए, न ही आप अपने गुस्से के लिए माफी मांगें । आपको यह आत्मग्लानि बिल्कुल नहीं होनी चाहिए कि मैंने गलत किया, मैं होश खो बैैठी, मुझे अपने पर काबू नहीं रहा या ऐसा नहीं होना चाहिए था, बल्कि आपको यह विश्वास और संतोष होना चाहिए कि जो कुछ आपने किया वह स्थिति को देखते हुए सर्वथा उचित था और यही होना भी चाहिए था ।

अंत  में  हम  फिर  यही कहेंगें कि गुस्सा बड़े काम की चीज है । आपने सुना भी होगा जहां लड़ाई अधिक होती है, वहीं प्यार भी अधिक होता है । अगर आप चाहती हैं कि आपके आपसी संबंध हमेशा मधुर और घनिष्ठ बने रहें और रिश्तों के ये बंधन सिर्फ नाम के लिए नहीं, बल्कि सचमुच आपके लिए ‘‘आन्तरिक प्रसन्नता’’ का चिर स्त्रोत बने रहें तो गुस्सा करना सीखिये, क्योंकि जीवन को संतुलित रखने के लिए सिर्फ प्यार ही काफी नहीं है, गुस्सा भी बेहद जरूरी है ।

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